tag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post2222850557787753399..comments2024-01-30T07:21:35.553-05:00Comments on बात-बेबात: अविनाश वाचस्पति की चार प्रतिकविताएं Subhash Raihttp://www.blogger.com/profile/15292076446759853216noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-72536257621908079972010-07-30T15:57:19.608-04:002010-07-30T15:57:19.608-04:00रोजाना झुलस रहा है
पर सोचता है पक रहा है
इतना पकना...रोजाना झुलस रहा है<br />पर सोचता है पक रहा है<br />इतना पकना ठीक नहीं<br />जल्दी ही थकेगा<br />कब यह क्रोध रूकेगा। <br /><br /><br />सभी रचनाओं में कम शब्दों में अधिक बात पर इस रचना ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया। बहुत शानदार। वाह।पंकज मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/05619749578471029423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-16115809344650857852010-07-30T13:41:28.795-04:002010-07-30T13:41:28.795-04:00सुभाष भाई हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। अविनाश...सुभाष भाई हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। अविनाश भाई का यह रूप मैंने तो कम से कम पहली बार देखा। उनकी रचनाएं देखन में छोटी लगें घाव करें गंभीर के तेवर वाली हैं। क्रिया की प्रतिक्रिया जारी रहे।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-40789032700074355232010-07-30T08:14:36.594-04:002010-07-30T08:14:36.594-04:00बेहतरीन रचनाएं..... अविनाश जी को आप लेखन का all ro...बेहतरीन रचनाएं..... अविनाश जी को आप लेखन का all rounder कह सकते हैं.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.com