tag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post3386435061265104798..comments2024-01-30T07:21:35.553-05:00Comments on बात-बेबात: गाँव से आगे, गाँव के पीछे Subhash Raihttp://www.blogger.com/profile/15292076446759853216noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-19640758802477236042010-06-11T13:08:57.500-04:002010-06-11T13:08:57.500-04:00पसीना बनता है सोना
सोना जो सोना है पर
नींद नहीं है...पसीना बनता है सोना<br />सोना जो सोना है पर<br />नींद नहीं है<br />नींद उड़ाता है सोना<br />पसीना सुलाता है<br />और सोने भी नहीं देता है<br />जो पसीना बहा रहे हैं<br /><br />वे आकाश में ही चीन्ह रहे हैं<br />रोज दर रोज<br />होश रहते हुए भी<br />और खोकर होश होते बेहोश<br />जो होश में आना चाहते हैं<br />वे आपकी पोस्ट पढ़कर आ सकते हैं<br />पर आयेंगे नहीं<br />क्यों उन्हें ये रस्ते भाएंगे नहीं<brअविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-9993543506072805782010-06-11T09:50:22.437-04:002010-06-11T09:50:22.437-04:00आपने अपने आपको बचा रखा है यह देखकर और पढ़कर बहुत आह...आपने अपने आपको बचा रखा है यह देखकर और पढ़कर बहुत आह्लादित हॅूं।sanjeev gautamhttp://www.sanjivgautam.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-47533819498329127442010-06-11T08:30:59.984-04:002010-06-11T08:30:59.984-04:00सुभाष भाई ऐसा लगा जैसे आपने कविता सचमुच गांव से लौ...सुभाष भाई ऐसा लगा जैसे आपने कविता सचमुच गांव से लौटकर लिखी थी। और यह विवरण आप शहर से गांव लौटकर लिख रहे हैं। देखिए न अब तो हम ग्लोबल गांव की बात करते हैं। बेचारे बस ड्रायवर को क्या हमें ही नहीं पता कि हम हैं किस ग्लोबल गांव में। आपने बात छेड़ी है तो मेरा भी छ़ेड़ने का मन कर रहा है। हालांकि आपने हजारी प्रसाद द्विवेदी की मार्फत कहलवाया है कि मियां लगे रहो बस। इस ब्लाग के ब्लोबल गांव में हम किसराजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-50888252074434021232010-06-11T04:47:55.804-04:002010-06-11T04:47:55.804-04:00आईये पढें ... अमृत वाणी।आईये पढें ... अमृत वाणी।आचार्य उदयhttps://www.blogger.com/profile/05680266436473549689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3190217504726480595.post-61884778781255150962010-06-11T04:42:35.190-04:002010-06-11T04:42:35.190-04:00बहुत सुन्दर अभिव्यक्तिबहुत सुन्दर अभिव्यक्तिShekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.com