बुधवार, 26 मई 2010

जल्दी मौत चाहता है अफजल

क्या कालकोठरी में होना मौत से भी ज्यादा भयानक है? अफजल गुरु को तो ऐसा ही लगता है। वह कई साल से मौत के इंतजार में जेल में बंद है। उसकी दया याचिका पर राष्ट्रपति को फैसला करना है, पर इसमें जल्दी नहीं हो पा रही है। इस मामले को लेकर काफी राजनीतिक बहस भी हुई। कांग्रेस सरकार पर जानबूझकर देर करने का विपक्ष ने आरोप लगाया। कहा गया कि सरकार इस बात से डर रही है कि इससे कहीं मुसलमान नाराज न हो जाय। इस आरोप में कितनी सचाई है यह कहा नहीं जा सकता क्योंकि कांग्रेस सरकार का कहना है कि मामला बहुत संवेदनशील है और जो भी विलंब हो रहा है, प्रक्रियागत कारणों से हो रहा है।
यह बात समझ में नहीं आती कि भारत के स्वाभिमान और सत्ता के प्रतीक संसद पर हमला करने के आरोपी को अगर मौत की सजा दी जाती है तो इससे मुसलमान क्यों नाराज होगा? ऐसा सोचना तो एक तरह से मुसलमानों की राष्ट्रभक्ति पर संदेह करने जैसा है। मुसलमान भी इस देश को अपनी जन्मभूमि मानता है, इसके प्रतीकों पर हमला उसे भी उतना ही मर्माहत करेगा, जितना हिंदुओं को या इस देश में रहने वाली किसी भी कौम को। यह सच है कि इस्लाम की गलत व्याख्या करके भाारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने वालों के बहकावे में आकर अनेक मुसलमान युवकों ने आतंकवाद का रास्ता अपनाया है लेकिन इससे पूरी कौम को कठघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता। ऐसे में नहीं लगता कि कांग्रेस को इस बात का डर होगा कि ंमुसलमान इससे नाराज हो जायेंगे।

जो भी हो लेकिन इस विलंब ने अफजल गुरु को तोड़ दिया है। किसी आदमी को अकेले दीवारों में कैद करके रखना, उसे किसी से मिलने न देना, किसी से बात न करने देना, उसे बाहरी दुनिया से काट देना एक तरह से उसके सार्वजनिक जीवन की मौत ही तो है। उसे रोज-रोज मरना पड़ता है। मौत की सजा तो एक सेकेंड में प्राण हर लेती है लेकिन काल कोठरी तो रोज मारती है। जो पीड़ा अफजल ने अपने वकील के माध्यम से व्यक्त की है, वह बताती है कि वह इस कैद से ऊब गया है, वह अपने जीवन की निरर्थकता से हताश हो गया है। उसकी यह हताशा आतंकवादियों के लिए एक गहरा संदेश है।

एक खतरनाक कैदी को जेल में इस तरह अकेले कैद रखने में सरकार को बहुत धन खर्च करना पड़ता है लेकिन आतंकवादियों को तोड़ने के लिए यह सजा मौत से भी कारगर है। तिल-तिल कर मरना बहुत ही यातना देता है। वह जीतेजी मार देता है। देश के दुश्मनों को यही सजा मिलनी चाहिए। अफजल ने जो किया, उसका खामियाजा तो उसे भुगतना पड़ेगा। अब इस मामले में सरकार ने भी प्रक्रिया तेज कर दी है और उम्मीद की जानी चाहिए कि बहुत जल्द अफजल को इस यातना से मुक्ति मिल जायेगी। वह जो चाहता है, वही होगा।

3 टिप्‍पणियां: