वीरेंद्र सेंगर की कलम से
उमा भारती को लेकर एक बार फिर भाजपा के अंदर धमाल शुरू हो गया है। लाल कृष्ण आडवाणी सहित कई वरिष्ठ नेता अब उमा को लेकर सॉफ्ट हो गए हैं लेकिन मध्य प्रदेश में पार्टी के अंदर उमा की इंट्री का सवाल जोरदार खींचतान में उलझ गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके सिपहसालार मंत्रियों ने उमा के मामले में अड़ियल रुख अपना लिया है। इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश में कई मंत्रियों के बीच ‘सिर फुटव्वल’ की नौबत आ गई है। कैबिनेट बैठक में बुजुर्ग नेता बाबू लाल गौड़ ने जोर देकर पार्टीहित में उमा जैसी प्रखर नेता की वापसी को जरूरी बताया, जिस पर मुख्यमंत्री के चहेते कुछ मंत्रियों ने कड़ी आपत्ति की| एक मंत्री ने तो गौड़ को यह कह कर चिढ़ा दिया कि उन पर उम्र हावी हो गई है। इसको लेकर बैठक में बवाल बढ़ा था। वरिष्ठ मंत्री कौशल विजय वर्गीज भी गौड़ की तरह से उमा की तरफदारी में खड़े हो गए हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार गौड़ ने तो काफी कड़ा रुख अपना लिया है। नेतृत्व से कह दिया है कि वे अपने अभियान को बंद नहीं करेंगे, चाहे उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़े। पिछले दिनों ही पार्टी की वरिष्ठ सांसद सुमित्रा महाजन ने उमा की पैरवी में बयान जारी किया था। सुमित्रा ने आडवाणी से कहा है कि राजनीतिक रूप से उमा की काफी उपयोगिता है। ऐसे में उन्हें वापस लेने में कोई हर्ज नहीं है। मध्य प्रदेश के एक और वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया भी उमा की तरफदारी में जुट गये हैं । इन नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया है कि उमा की वापसी से पार्टी को उत्तर प्रदेश में खासतौर पर नई राजनीतिक ऊर्जा मिल जाएगी।
इस अभियान से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खासे बेचैन समझे जा रहे हैं। आखिर उमा भारती को लेकर अभियान एकाएक इतना गर्म क्यों हो गया? भाजपा के अंदर यह सवाल पूछा जा रहा है। हुआ यह कि पिछले दिनों आडवाणी के खास जोर पर जसवंत सिंह को पार्टी में फिर से बहाल कर दिया गया है। पार्टी में दोबारा वापस आने के बाद भी जसवंत सिंह ने खुले तौर पर जिन्ना के बारे में अपने नजरिए को वापस नहीं लिया। इस मामले में खेद भी नहीं व्यक्त किया। जसवंत की इंट्री के बाद ही उमा भारती की वापसी की मुहिम तेज कर दी गई है। पार्टी में एक लॉबी कोशिश कर रही है कि उन तमाम नेताओं को वापस ले आया जाए, जो किन्हीं कारणों से बाहर हो गए हैं। इसी मुहिम के चलते पार्टी ने चर्चित नेता एमके अन्ना पाटिल को दोबारा शामिल कर लिया है। पाटिल को सांसद के तौर पर पैसे के बदले सवाल पूछने के घोटाले में रगे हाथ ‘स्टिंग’ आपरेशन में धरा गया था। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव, केएन गोविंदाचार्य को भी वापस लाने की मुहिम शुरू हुई है। एक दौर में गोविंदाचार्य को भाजपा का ‘चाणक्य’ कहा जाता था। वे कई सालों से राजनीतिक ‘वनवास’ भोग रहे हैं। गोविंदाचार्य कह रहे हैं कि भाजपा में लौटने का उनका कोई एजेंडा नहीं है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी नेता कहते हैं कि उमा की इंट्री के बाद उनके लिए समस्या पैदा हो सकती है| उमा चाहे जितने वादे करके आएं कि वे मध्य प्रदेश की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेंगी, लेकिन व्यावहारिक रूप से ऐसा संभव नहीं है।वे लोध समुदाय से संबंध रखती हैं। उमा खांटी ईमानदार तो हैं, लेकिन अक्खड़ भी बहुत हैं। partee से निकाले जाने के बाद उन्होंने भारतीय जनशक्ति पार्टी बना ली थी लेकिन इस पार्टी का प्रदर्शन ‘फ्लॉप शो’ जैसा ही रहा है। मुख्यमंत्री चौहान के लिए सुकून की बात यह मानी जा रही है कि संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश सोनी भी उमा की इंट्री के खिलाफ हैं। मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष प्रभात झा, भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली और सुषमा स्वराज अलग-अलग कारणों से उमा भारती की वापसी के विरोध में हैं। जबकि, पार्टी का एक तबका यह तर्क दे रहा है कि उमा वापस आ गयीं तो इस ‘कंगाली’ के दौर में उत्तर प्रदेश में पार्टी को लोध वोटों का फिर सहारा मिल जाएगा।
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