वीरेंद्र सेंगर की कलम से
एनडीए का नेतृत्व राजनीतिक टकराव के रास्ते पर तेजी से बढ़ने लगा है। बिहार में विपक्ष के मुकाबले उसने अपना आक्रामक मोर्चा खोल दिया है। यहां एक वित्तीय ‘घोटाले’ को लेकर सरकार, विपक्ष और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ने लगा है। गुरुवार को भी सत्ता पक्ष ने आक्रामक तेवर दिखाए। विधानसभा के स्पीकर ने इस प्रकरण को विधायिका बनाम न्यायपालिका बनाने की पहल तेज कर दी है। गुजरात में गृह राज्य मंत्री पर सीबीआई ने गिरफ्तारी की ‘तलवार’ लटका दी है। इन दोनों मुद्दों पर एनडीए का नेतृत्व आक्रामक मुद्रा में आ गया है। पटना विधानसभा पिछले तीन दिनों से राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बनी हुई है। गुरुवार को राजद के आंदोलनकारियों पर पुलिस ने बेरहमी से लाठियां चलाई। इसमें छात्र विंग के कई नेता लहूलुहान नजर आए। ये आंदोलनकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा मांग रहे थे। अपने घायल ‘योद्धाओं’ को अस्पताल में देखने पहुंचे राजद सुप्रीमो, लालू यादव ने कहा है कि अब पटना की सड़कों पर टकराव का लंबा दौर चलने वाला है।
विधानसभा के अध्यक्ष, उदय नारायण चौधरी ने एलान किया है कि विधानसभा, हाईकोर्ट के उस आदेश को नहीं मानेगी, जिसमें ट्रेजरी मामले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिए गए हैं। अध्यक्ष ने साफ-साफ कहा कि इस प्रकरण की लोक लेखा समिति समीक्षा कर रही है, ऐसे में न्यायपालिका सीबीआई को जांच आदेश नहीं दे सकती। अध्यक्ष के इस ऐलान के बाद मामला विधायिका बनाम न्यायपालिका का बन गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री, राम विलास पासवान का कहना है कि बिहार में एनडीए नेतृत्व पूरी तौर पर राजनीतिक बेशर्मी पर उतर आया है। यदि सरकार ने अरबों रुपये का घोटाला नहीं किया है, तो वह सीबीआई जांच से क्यों भाग रही है? बिहार में जदयू और भाजपा की साझा सरकार के बचाव में एनडीए का पूरा नेतृत्व खड़ा हो गया है। एनडीए के कार्यकारी संयोजक, शरद यादव का कहना है कि राजद जैसे दल नीतीश सरकार की अच्छी छवि खराब करना चाहते हैं।
एक तरफ बिहार का मोर्चा बहुकोणीय बन गया है तो दूसरी तरफ, गुजरात में भी एक मामले को लेकर कांग्रेस और एनडीए के बीच टकराव की नौबत आ गई है। यह मामला है नरेंद्र मोदी सरकार के गृह राज्य मंत्री, अमित शाह का। सीबीआई ने 2005 में सोहराबुद्दीन के बहुचर्चित फर्जी मुठभेड़ के मामले में शाह को लपेट लिया है जबकि, अमित शाह मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खास सिपहसालार माने जाते हैं। सीबीआई का दावा है कि उसके पास पक्के सबूत हैं कि गृह राज्य मंत्री ने उन पुलिसवालों का भरपूर सहयोग किया था, जो कि सोहराबुद्दीन की ‘मुठभेड़’ में शामिल थे। इस मामले में भी एनडीए का टकराव सीबीआई, केंद्रीय गृह मंत्रालय और परोक्ष रूप से सर्वोच्चय न्यायपालिका से हो गया है। इस तरह से बिहार और गुजरात के मोर्चे पर एनडीए टकराव की रणनीति पर बढ़ चला है। 26 जुलाई से यहां संसद का सत्र शुरू हो रहा है। इन दोनों राज्यों की राजनीतिक टकराहट की तल्खी का असर अब जल्द ही संसद परिसर में दिखाई पड़ सकता है।
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