संसद चल नहीं पा रही है, फच्चर फंसा हुआ है। सरकार ने साफ कर दिया है कि वह दोनों सदनों में बहस के लिए तैयार है, लेकिन वोटिंग के लिए नहीं। यहां तक कह दिया गया है कि इस फैसले में अब पुनर्विचार की कोई गुंजाइश नहीं है।वित्त मंत्री, प्रणव मुखर्जी ने भी कहा है कि विपक्ष जानबूझ कर संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रहा है जबकि इस सत्र में कई जरूरी विधेयक पास होने हैं। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज का कहना है कि सरकार सरासर गलत बयानी पर अमादा है। संसद तो ठप है, सरकार के अड़ियल रवैये के कारण। आखिर विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को स्वीकार करने में क्या दिक्कतें हैं? जबकि, सरकार दावा कर रही है कि उसकी संख्या गणित पूरी है। तो फिर क्या डर है? वैसे, भी ‘काम रोको’ प्रस्ताव के तहत वोटिंग होती है और इसमें पक्ष में बहुमत होता है, तो भी सरकार गिरने का खतरा नहीं है। इसके बावजूद सरकार इसलिए डर रही है कि कहीं उसकी ‘एकता’ की पोल न खुल जाए।
सरकार के रवैये से वाम मोर्चा नेतृत्व खासा नाराज है। सीपीएम के वरिष्ठ नेता, वासुदेव आचार्य का कहना है कि महंगाई के मुद्दे पर सरकार का रवैया कायराना है। वाम मोर्चा ने तो अपनी रणनीति का खुलासा कर दिया है। यही कि वह दबाव बनाने के लिए धरना-प्रदर्शन का रास्ता अपनाएगा। यह कार्रवाई संसद के बाहर भी होगी और संसद के अंदर भी। बसपा, राजद और सपा जैसे दल यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। इन दलों का रवैया कुछ-कुछ अलग दिखाई पड़ा। बसपा ने तो मंगलवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि वह काम रोको प्रस्ताव के तहत ही बहस कराने के लिए दबाव नहीं बनाएगी। राजद और सपा का रवैया सरकार के प्रति इतना नर्म नहीं देखा गया। लालू यादव कहते हैं कि इतने गंभीर मुद्दे पर आखिर स्थगन प्रस्ताव पर ही बहस हो जाएगी, तो कौन सी आफत आ जाएगी?
खास निशाने पर हैं मोदी!
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सीबीआई के खास निशाने पर आ गए हैं। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में जांच कर रही टीम को षड्यंत्र के तार उच्च स्तर तक जुड़े लगते हैं। जांच दल को कुछ ऐसे संकेत मिले हैं, जिनके बारे में मोदी से पूछताछ करना जरूरी हो गया है। विशेष जांच दल ने सुप्रीम कोर्ट को दी गई ‘स्टेटस रिपोर्ट’ में भी इस बात का उल्लेख कर दिया है। सीबीआई ने इस मामले के एक प्रमुख आरोपी पुलिस अधिकारी डीजी बंजारा का जेल में ‘स्टिंग’ आपरेशन करा लिया है। इसमें डीजी बंजारा अपने एक साथी कैदी से कहते हैं कि उन लोगों ने मंत्री अमित शाह के आदेश से सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसर बी का अलग-अलग सफाया करा दिया था। चर्चा है कि अमित शाह ने यह सब काम ‘बॉस’ के संकेत के बाद ही किया होगा। सीबीआई के सूत्र कहते हैं कि ये ‘बॉस’ मोदी ही हो सकते हैं। उनके पास 2007 से गृह मंत्रालय का प्रभार भी है। वैसे भी यह जग जाहिर है कि अमित शाह 1980 से मोदी के खास ‘शागिर्द’ रहे हैं। ऐसे में इसकी पूरी संभावना है कि इस षड्यंत्र के तमाम घटनाक्रमों की जानकारी मोदी को रही हो।जांच दल पता करना चाहता है कि आखिर वह कौन शख्स है, जो ‘हत्यारे’ पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए सत्ता का इस्तेमाल कर रहा था। चूंकि, पूर्व गृह राज्य मंत्री ने यह कह दिया है कि उन्हें इस ट्रांसफर की वजह नहीं मालूम है। ऐसे में मोदी से पूछताछ जरूरी बताई गई है। शाह ने रिकार्डेड बयान में ऐसी टिप्पणियां कर दी हैं, जिनके आधार पर जांच दल को मोदी से पूछताछ का पुख्ता आधार भी मिल गया है। सीबीआई एक आरोपी पुलिस अधिकारी एनके अमीन को सरकारी गवाह बनाने जा रही है। अमीन पूर्व डीएसपी हैं। उनके वकील का कहना है कि पूर्व गृह राज्य मंत्री शाह के दबाव में ही सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी का अलग-अलग ‘कत्ल’ किया गया था। इस मामले में दो अगस्त को निर्णय होना है। अमित शाह के मामले में भाजपा नेतृत्व, केंद्र सरकार को राजनीतिक रूप से कटघरे में खड़ा करने की तैयारी कर रहा था लेकिन सीबीआई ने ऐसी तमाम जानकारियां जुटा ली हैं, जिनसे खुद मोदी सरकार मुसीबतों में फंस सकती है।
बात मंहगाई की हो या इन्क्वायरी की सब अपनी शक्ल चमकाने में जुटे हैं. सही में किसी को किसी चीज़ से अलबत्ता कुछ नहीं लेना देना.
जवाब देंहटाएंराजनीति पर कुछ कहना समय व्यर्थ करना है सब अपनी अपनी जेब भरने का काम कर रहे है
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