गुरुवार, 15 जुलाई 2010

झगडा नहीं क्रिएटिव टेंशन

वीरेंद्र सेंगर की कलम से
केंद्र सरकार के कई मंत्रियों के बीच टकराहट बढ़ी है। मंत्रियों की इस कार्यशैली से पीएमओ खुश नहीं हैं। यह जरूर है कि वह हस्तक्षेप तभी करता है, जब बात काफी बढ़ जाती है और सरकार की फजीहत शुरू हो जाती है। टकराहट का ताजा मामला कमलनाथ और मोंटेक सिंह आहलूवालिया के बीच का है। कई मंत्रियों की पिछले महीनों में आयोग में जमकर खिंचाई हो चुकी है। आयोग के इस आक्रामक रवैये से कमलनाथ खासे नाराज हुए हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने हाईप्रोफाइल मोंटेक की खबर ले ली थी। कह दिया था कि एसी कमरे में बैठकर योजनाएं बनाना अलग बात है, लेकिन जमीन पर सड़कें बनाना दूसरी बात है। अपने रौ में आकर उन्होंने मोंटेक को इंगित करते हुए यहां तक कह डाला था कि इधर-उधर से टीपटॉप कर किताब  लिख लेवा आसान है| उन्होंने खुलकर कह दिया था कि योजना आयोग के अड़ंगे के कारण वे प्रतिदिन 20 किलोमीटर सड़क बना लेने का लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं।  सरकार ने लक्ष्य पूरा करने के लिए प्रतिदिन 20 किलोमीटर राजमार्ग बनाने का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य यूपीए सरकार की पहली पारी में ही रख दिया गया था लेकिन मंत्रालय इस काम में काफी पीछे चल रहा है। अब मंत्री ने इसकी जिम्मेदारी योजना आयोग के खाते में डाल दी है।

आहलूवालिया ने एक सप्ताह की चुप्पी के बाद अब कमलनाथ पर जमकर पलटवार की है। उन्होंने रविवार को एक टीवी इंटरव्यू में सड़क परिवहन मंत्री पर जमकर कटाक्ष किए। उन्होंने कमलनाथ का नाम लिए बगैर बहुत कुछ कह डाला। वे बोले कि सड़कें बना लेने से ही देश नहीं चल जाता। ये  समझते हैं कि उन्हें योजनागत सलाह की जरूरत नहीं है। नियोजित योजनाओं के बिना देश सही ढंग से नहीं चलता। कमलनाथ की उस शिकायत पर कि आयोग मंत्रालय के बजट से छेड़छाड़ कर देता है,  मोंटेक ने कहा कि योजना आयोग को देखना पड़ता है कि सड़क से भी जरूरी और क्या मद है। संतुलन बनाकर चलने से ही समुचित विकास की गाड़ी बढ़ती है। माना जा रहा है कि यह टिप्पणी कर के आहलूवालिया ने अपनी ऊंची राजनीतिक पहुंच का अहसास कमलनाथ को करा दिया है। मोंटेक ने कहा कि उनके और कमलनाथ के बीच झगडा नहीं क्रिएटिव टेंशन है| देख लीजिएगा, अब कई नेता सच छिपाने के लिए धड़ल्ले से ‘क्रिएटिव टेंशन’ की आड़ लेते नजर आएंगे।

बन्दूक और विकास

नक्सलवादियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने रायफलों के साथ विकास का रोलर चलवाने की भी योजना बना ली है। बुधवार को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों आश्वस्त किया है कि वे अपने राज्यों में नक्सल विरोधी रणनीति को नए जज्बे के साथ लागू करवाएंगे। सबसे अहम फैसला चार राज्यों के बीच यूनीफाइड कमान के लिए सहमति बन जाना माना जा रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल व उड़ीसा के बीच यह सहमति बन गई है जबकि अगले दौर में तीन और राज्यों के बीच भी इसके लिए सहमति बना ली जायेगी । केंद्रीय योजना आयोग ने प्रस्ताव किया है कि एक हजार करोड़ रुपये के बजट से नक्सल प्रभावित सभी जिलों में विकास के काम तेज किए जाएं। कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति ने इन सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार, राय बनी कि यह विशेष कार्ययोजना लागू कराने के लिए नौकरशाहों के भरोसे न छोड़ी जाए। बल्कि इसकी निगरानी की जिम्मेदारी स्थानीय नागरिक संगठनों को सौंपी जाए, ताकि विकास सही ढंग से हो पाए और भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रह पाए। जिन 400 नए थानों का प्रस्ताव किया गया है, वे पूरी तौर पर आधुनिक शस्त्रों से लैस होंगे। ये सभी थाने दो साल के अंदर तैयार कर लिए जाएंगे।

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