बकौल हजारी प्रसाद द्विवेदी, करने वाला इतिहास निर्माता होता है, सिर्फ सोचने वाला इतिहास के भयंकर रथचक्र के नीचे पिस जाता है। इतिहास का रथ वह हांकता है, जो सोचता है और सोचे को करता भी है।
शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010
राहुल भ्रष्टाचार पर चुप क्यों
भ्रष्टाचार के बारे में सारा देश मौन है। लगता है कि सबने इस अपराध को स्वीकार कर लिया है। जब हमने अपराध को स्वीकार कर ही लिया है तो विकास के नाम पर नारेबाजी क्यों। राहुल गाँधी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा सहित केंद्र की अन्य योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। सरकार गरीबों की सुध नहीं ले रही है। उन्हें एक बात माननी होगी कि जब केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार को अपराध ही नहीं माना तो उत्तर प्रदेश में क्या गलत हो रहा है। सारे देश में भ्रष्टाचार का परचम लहरा रहा है। विकास के नाम पर भ्रष्टाचार सही नहीं ठहराया जा सकता लेकिन सेना सहित प्रशासन के सभी अंगों में यह पूरी तरह हाबी है। आज ईमानदार आदमी को उसके घरवाले भी पसंद नहीं करते। समाज में भी उसका स्थान निरंतर नीचे की और जा रहा है। और तो और मालिक भी ईमानदार को पसंद नहीं करते। जो मालिकों का टैक्स बचा सके, उनके काले धंधे को चला सके, रिश्वत देकर उनकी समस्या का समाधान करवा सके, वही आदर के पात्र होते हैं । मेरा मानना हैं कि देश विदेशी हमले से नहीं अपितु भ्रष्टाचार से गुलाम होगा। हमारा देश तो महान है पर उसका दुर्भाग्य कि यहाँ हर आदमी बिकाऊ है। सांसद , विधायकों को तो जनता ने खुलेआम बिकते देखा है। नौकरशाही इसमें पूरी तरह लिप्त है। न्याय भी बिना पैसे के नहीं मिलता। इससे बड़ा इस देश का दुर्भाग्य क्या होगा जहाँ रिश्वत देकर सेना में सिपाही भर्ती होता है।रिश्वत देकर भर्ती युवा में क्या देशभक्ति की भावना होगी। वह दुश्मन के सामने गोली चलाएगा या पीठ दिखाकर भाग जायेगा। पुलिस में बिना रिश्वत दिए कोई युवा प्रवेश नहीं कर सकता। आजकर डाक्टर और इंजीनीयर भी पैसे देकर तैयार किये जाते हैं। भगवान के दर्शन भी बिना पैसे के नहीं हो सकते। जब सब कुछ पैसा ही है तो फिर इस भ्रष्टाचार पर घडियाली आंसूं क्यों। क्या राहुल गाँधी उत्तर प्रदेश को कोसने की बजाए अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी अभियान छेड़ें तो उनके राजनीतिक भविष्य के लिए अच्छा होगा। लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे। उनकी पार्टी के अधिकांश सांसद, विधायक और मंत्री अरबपति और करोडपति हैं। वह यह भी जानते हैं कि इतना पैसा बिना बेईमानी के नहीं आ सकता। वह अपनी पार्टी का टिकट भी उसी व्यक्ति को देंगे जो चुनाव का खर्चा उठा सके। आज उनके साथ जो युवा नेता हैं। वह सब धनी हैं। गरीबी की लड़ाई लड़ने के लिए राहुल गाँधी को भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आन्दोलन करना होगा. परन्तु क्या वह यह साहस कर सकेंगे। क्या राहुल गाँधी भ्रष्टाचारियों को खुलेआम फांसी देने की वकालत करेंगे।
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chintan
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क्योंकि कांग्रेस की नाव भ्रष्टाचार के सहारे ही चल रही है।
जवाब देंहटाएंRahul ke daant khaane ke aur, dikhane ke aur.
जवाब देंहटाएंअब तो सड़क से संसद तक इस मुद्दे पर कोई बात ही नहीं करना चाहता, जबकि सारी बीमारियों की जड़ यही है। आपने बिल्कुल सही कहा है। ईष्वर करे यह बात दूर तक पहुॅंचे।
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