शशि थरूर को मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने बहुत जल्दी विदा कर दिया। दरअसल वे राजनीति में बिल्कुल नये थे। राजनेता किस तरह लंबे समय तक पिच पर जमे रहते हैं, यह सीखने में अभी उन्हें समय लगता। उन्हें मौका मिलता तो वे जरूर सीख लेते लेकिन उनके स्वभाव ने साथ नहीं दिया। उनके ट्वीट्स कई बार उन्हें मुश्किल में डाल चुके थे पर हर बार वे कोई न कोई सफाई देकर बच निकलने में कामयाब रहे। कई बार प्रेस पर गलतबयानी करने का आरोप लगाकर भी निकल भागे। पर आखिर में ललित मोदी के एक ट्वीट ने उन्हें ऐसी परेशानी में डाल दिया कि वे शहीद हो गये। वे इस बार भी बच जाते पर यह केवल उनकी पार्टी का मसला नहीं रह गया। विपक्ष बीच में कूद पड़ा। सरकार दबाव में आ गयी। अभी उसे कई ऐसी जिम्मेदारियां पूरी करनी हैं, जो विपक्ष की मदद के बिना पूरी नहीं हो पायेंगी। बजट पास कराना है, महिला बिल भी लटका हुआ है।
सरकार ने अपने स्वार्थ में शशि थरूर को बलि का बकरा बना दिया।अगर सुनंदा पुष्कर को आईपीएल कोचि फ्रेंचाइजी की मधुर इक्विटी का लाभ मिल रहा था तो यह वास्तव में उनके दोस्त मंत्री की कृपा का प्रसाद था या कुछ और, इसकी पूरी जाँच होनी चाहिए थी. बात केवल सुनंदा की ही नहीं है, आईपीएल के भीतर जो भी खेल चल रहे हैं, उन सबकी खबर लेनी चाहिए थी और जरूरी होने पर ललित मोदी से सचाई पूछी जानी चाहिए थी. थरूर से उनकी कोई खटपट है तो सरकार को इस पर भी सोचना चाहिए था। यह काम तो सरकार का था कि वह आईपीएल में पैसा लगाने वाले सभी लोगों के खाते खंगालती। पर सरकार ने ज्यादा लंबा मामला खींचने की जगह थरूर की छुट्टी करने में ही भलाई समझी। अपने सर से बोझ उतार फेंका। जो तरीका अपनाया गया, वह असली समस्या पर गौर करने की जगह खुद को पाक-साफ दिखाने के लिए अपनाया गया कदम ज्यादा लगता है।
ललित मोदी के वैभव का राज क्या है, क्या सरकार को यह भी नहीं देखना चाहिए? यह ठीक बात है कि उन्होंने आईपीएल के जरिये देश के क्रिकेटप्रेमियों के सामने एक नया रोमांच पेश किया। दुनिया भर के बेहतरीन खिलाड़ियों को एक जगह अपनी करामात दिखाते देखना निश्चित ही आनंद देने वाला अनुभव है। साथ में बड़े सितारे और तारिकाओं का जमावड़ा और दुनिया के कोने-कोने से चुनी गयी सुंदरियों का नृत्य रूप-दर्शन किसे नहीं लुभाता है पर करोड़ों दर्शकों की जेब से निकले धन का यह वैभव किस-किस को कैसे-कैसे संपन्न कर रहा है, यह भी तो देखा जाना चाहिए। अब सरकार ने पूरे मामले की व्यापक जांच की घोषणा की है। देखना है वह किसकी-किसकी तिजोरी में झांकती है, कितनी काली भेंड़ों को पकड़ती है।
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