मैं नहीं जानता कि मैंने जो कुछ लिखा है, वो ग़ज़ल है कि नहीं पर इनमें मैं कुछ कहना जरूर चाहता हूँ. इसीलिए इसे आप तक पहुंचा रहा हूँ. आप देखें, पढ़ें और तय करें कि मैं कह पाया या नहीं.
१.
हाँ सुर्ख़ियों में नाम मेरे गाँव का कल था.
चर्चा नहर के पास मिले पांव का कल था.
इतनी दरिंदगी न कभी धूप की देखी
पेड़ों से झरती आग सिर्फ छाँव का कल था
कल ही बना था बांध अचानक दरक गया
पेड़ों पे छत पे बस्तियां थीं नाव का कल था
कर्जे चुकाएगी फसल उम्मीद थी उसको
बिरजू के लिए सत्य राम-नाम का कल था
२.
होठों पे हंसी बात में कितनी मिठास है
ये फूल जैसा छद्म कहीं आस-पास है
देखा बहुत करीब से समझा नहीं मगर
उजली है उसकी देह या उजला लिबास है
मुंह में हैं राम संत सी रहनी लगी मुझे
सब उसके खास और वो सभी का खास है
नेकी की कथाएं तो बहुत सी सुनी गयीं
पकड़ा तो पुलिस ने कहा गर्दनतराश है
नेकी की कथाएं तो बहुत सी सुनी गयीं
जवाब देंहटाएंपकड़ा तो पुलिस ने कहा गर्दनतराश है
सुन्दर भावाभिवय्क्ति
मुंह में हैं राम संत सी रहनी लगी मुझे
जवाब देंहटाएंसब उसके खास और वो सभी का खास है
-बढ़िया है.