मित्रों, मन यूँ ही कभी-कभी कुछ पंक्तियाँ सहेजता रहता है. कभी पन्ने पर उतर जातीं हैं, कभी मन के आकाश में खो जातीं हैं. ये कुछ शब्द उतर आयें हैं. सोचा आप तक पहुँच जायं......
स्वाद अच्छा रंग अच्छा रूप अच्छा है
देख इसकी आड़ में ये जाल किसका है
घाव ताजा है खुला मत छोड़ तू इसको
इस तरह की चोट से तो खून रिसता है
एक जंगल था नदी थी और कल-कल था
इस तरफ अब धूल का तूफान उठता है
आँधियों के साथ दिन भर भागते रहना
क्या कहूँ हर शाम कितना पांव दुखता है
मेघ का झरना गली में बाढ़ का आना
याद में है याद में तूफान उठता है
धमनियों में लपलपाती जीभ का हिलना
थरथराती देह मेरा दांत बजता है
धमनियों में लपलपाती जीभ का हिलना
जवाब देंहटाएंथरथराती देह मेरा दांत बजता है |||||||
bahut khub
shkehar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
धमनियों में लपलपाती जीभ का हिलना
जवाब देंहटाएंथरथराती देह मेरा दांत बजता है |||||||
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